क्या आप छोटी-छोटी बातों पर ज़रूरत से ज़्यादा सोचते हैं? क्या अतीत की बातें या भविष्य की चिंताएं आपको वर्तमान में जीने से रोक रही हैं? इसे ही अति-विचार (ज़रूरत से ज़्यादा सोचना) कहते हैं। यह एक ऐसी आदत है जो हमारी मानसिक शांति छीन लेती है और हमें आगे बढ़ने से रोकती है।लेकिन आप इस आदत को बदल सकते हैं। खुद को बेहतर बनाने के लिए इन कदमों को अपनाएँ:जागरूक बनें: जैसे ही आप खुद को विचारों में उलझता हुआ पाएँ, तुरंत पहचान लें कि आप अति-विचार कर रहे हैं। जागरूकता ही बदलाव का पहला कदम है।वर्तमान में रहें: अपनी साँसों पर ध्यान दें या अपने आसपास की चीज़ों को महसूस करें। यह आपके दिमाग को भटकने से रोकता है।कार्यवाही करें: सिर्फ सोचने की बजाय, समस्या को हल करने के लिए एक छोटा कदम उठाएँ। काम शुरू करना विचारों के चक्र को तोड़ देता है।विचारों को लिखें: अपने मन की उलझन को एक पुस्तिका (या डायरी) में लिख लें। इससे दिमाग़ हल्का होता है और स्पष्टता मिलती है।समय सीमा तय करें: किसी चीज़ के बारे में सोचने के लिए खुद को 10-15 मिनट का समय दें। समय पूरा होने पर, अपना ध्यान किसी दूसरे काम में लगा लें।अति-विचार को एक दिन में नहीं छोड़ा जा सकता, लेकिन लगातार अभ्यास से आप अपने मन को नियंत्रित करना सीख सकते हैं। सोचना बंद करें और जीना शुरू करें!

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