दो पौधों का नज़रियाएक

बगीचे में, माली ने एक ही दिन, एक ही जैसी मिट्टी में दो छोटे पौधे लगाए।पहला पौधा बहुत आशावादी था। जब सूरज की तेज़ धूप उस पर पड़ती, तो वह सोचता, “

वाह! यह धूप मुझे बढ़ने में मदद कर रही है, इससे मुझे ऊर्जा मिल रही है।” जब तेज़ बारिश होती, तो वह खुश होकर कहता, “कितना अच्छा है! यह पानी मेरी जड़ों को मज़बूत कर रहा है और मेरी प्यास बुझा रहा है।”दूसरा पौधा निराशावादी था। जब वही तेज़ धूप उस पर पड़ती, तो वह मुरझाते हुए शिकायत करता, “उफ! यह सूरज मुझे जलाकर राख कर देगा। मेरी सारी नमी खत्म हो गई।” जब वही बारिश होती, तो वह दुखी होकर कहता, “हे भगवान! इतना पानी? मेरी जड़ें सड़ जाएँगी। मैं इस तूफ़ान में बर्बाद हो जाऊँगा।”पहला पौधा हर चुनौती को एक अवसर के रूप में देखता था। वह हर बूँद पानी और धूप की हर किरण का धन्यवाद करता।दूसरा पौधा हर अवसर को एक चुनौती के रूप में देखता था। वह धूप से जलता और पानी से घबराता।कुछ महीनों बाद, माली बगीचे में आया।उसने देखा कि पहला पौधा बड़ा होकर एक मज़बूत पेड़ बन गया था, जो हरे-भरे पत्तों और फूलों से लदा हुआ था।वहीं दूसरी तरफ, दूसरा पौधा मुश्किल से ज़मीन से थोड़ा ही ऊपर उठा था। वह पीला पड़ गया था और मुरझाने की कगार पर था।माली ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोनों को एक ही मिट्टी, एक ही धूप और एक ही पानी मिला। लेकिन एक ने हर मौसम को अपना दोस्त बनाया और दूसरा हर मौसम को अपना दुश्मन समझता रहा।”सीख (Moral):जीवन में मुश्किलें और अवसर सभी को एक जैसे मिलते हैं। सफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आपके साथ क्या होता है, बल्कि इस बात पर निर्भर करती है कि आप उन हालातों को किस नज़रिए से देखते हैं। आपका नज़रिया (Attitude) ही आपकी ज़िंदगी की दिशा तय करता है।

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